Poetry atal bihari vajpayee biography in hindi
अटल बिहारी वाजपेयी की टॉप 5 कविताएं जो जीवन में भर देंगी जोश
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आइये अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी बदलने वाली टॉप 5 कविताओं को पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
नई दिल्लीः देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 99वीं जयंती पूरे देश में मनाई जा रही है. सिर्फ देश ही नहीं दुनियाभर में लोग इनकी जयंती मनाते हैं. उनकी इस जयंती को देश में सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है. अटल जी एक बहुत बड़े कवि भी थे. उन्होंने कई ऐसी कविताएं लिखी हैं जिन्हें लोगों ने बेहद पसंद किया है. उनकी कविताएं जीवंत और बेबाक हैं. आइये उनकी जिंदगी बदलने वाली टॉप 5 कविताओं को पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
1.आओ फिर से दिया जलाएं
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ.
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ.
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
2.मैं न चुप हूं न गाता हूं
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
सवेरा है मगर पूरब दिशा में
घिर रहे बादल
रूई से धुंधलके में
मील के पत्थर पड़े घायल
ठिठके पाँव
ओझल गाँव
जड़ता है न गतिमयता
स्वयं को दूसरों की दृष्टि से
मैं देख पाता हूं
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
समय की सदर साँसों ने
चिनारों को झुलस डाला,
मगर हिमपात को देती
चुनौती एक दुर्ममाला,
बिखरे नीड़,
विहँसे चीड़,
आँसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूँ.
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ
3.गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
4.कदम मिला कर चलना होगा
बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा.
हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.
कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.
5.कौरव कौन, कौन पांडव
कौरव कौन
कौन पांडव,
टेढ़ा सवाल है.
दोनों ओर शकुनि
का फैला
कूटजाल है.
धर्मराज ने छोड़ी नहीं
जुए की लत है.
हर पंचायत में
पांचाली
अपमानित है.
बिना कृष्ण के
आज
महाभारत होना है,
कोई राजा बने,
रंक को तो रोना है.
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